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Wednesday, April 27, 2011

जर्जर योजनाओं से हिचकोले खाता विकास का पहिया

अपने एक दोस्त की शादी में शामिल होने के लिए बिहार के गोपालगंज जिले में गया हुआ था। रात के तीन बज रहे थे। दोस्त अपने जीवन संगनी संग सात फेरे ले रहा था। उसका ससुराल हजारों बल्ब की रौशनी में जगमगा रहा था। हलवाई सुबह के नाश्ते का इंतजाम करने में लगे थे। मैं शोर से थोड़ा निजात पाने के लिए मंडप से बाहर निकला।सड़के के उस पार लालटेन की धीमी रौशनी टीमटीमा रहीथी। साथ ही टार्च की हल्की लाइट में कोई कुछ लिखने की कोशिश कर रहा था। कौतुहलवश मैं उस रौशनी की तरफखिंचता चला गया। पास जाने पर देखा कि एक 55 साल के व्यक्ति बड़े-बड़े पन्नों पर कुछ लिख रहे थे। पूछने परपता चला कि वह गांव के स्कूल में टीचर हैं। और जनगणना से संबंधित काम कर रहे हैं।पूरी रात काम करने वाले...
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