Pillar of True Journalism to save Public Domain

Tuesday, March 27, 2012

बोलती तस्वीरें...


कहते हैं कि तस्वीरें बोलती हैं। उसमें एक कलाकार की भावनाएं समाहित होती हैं। उसमें एक संदेश होता है। बस जरूरत है तो उस संदेश और भावनाओं को समझने की। आपके लिए हाजिर हैं 10 दु्र्लभ तस्वीरें। इन्हें देखिए और उसमें छिपे संदेश को तलाशने की कोशिश कीजिए।




सभी तस्वीरें साभार FFFFOUND.COM

Sunday, March 18, 2012

एक IPS अफसर की दिल झकझोर देने वाली दास्तां


''यार, यहां बहुत बेगार करवाते हैं। कोई सेल्फ रिस्पेक्ट ही नहीं है। इलेक्शन के खर्चों का टारगेट अभी से दे दिया है। क्या इसलिए इतनी पढ़ाई करके आईपीएस बना था? ये लोग वर्दी वालों से ही उगाही करवा रहे हैं। अब नौकरी छोड़ दूंगा।''


खुदकुशी से ठीक पहले बिलासपुर (छत्‍तीसगढ़) के एसपी राहुल शर्मा ने अपना यह दुख अपने दोस्त के साथ साझा किया था। राहुल और उनके दोस्त हरिमोहन थकुरिया जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में साथ में पढ़े थे। हरिमोहन के मुताबिक, सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर उन्होंने राहुल से पांच मार्च को बात की थी।

इस घटना के कुछ दिन पहले ही आईपीएस नरेंद्र कुमार को खनन माफिया ने ट्रैक्टर से रौंद कर मार डाला था। वह खनन पर अंकुश लगाने के लिए अभियान चला रहे थे। इसी बीच उनके साथ यह खौफनाक खूनी खेल गया था।

अब सवाल यह उठता है कि क्या ईमानदार अधिकारियों का यही हाल होता है। उन्हें या तो मौत के घाट उतार दिया जाता या फिर इस व्यवस्था से तंग आकर वे खुद मौत को गले लगा लेते हैं। अधिकांश मां-बाप अपने बेटे-बेटी को आईपीएस या आईएएस बनाना चाहते हैं। तैयारी में उनकी आधी उम्र निकल जाती है। सलेक्शन के बाद पोस्टिंग के लिए जुगाड़ लगाना पड़ता है।

उसके बाद यदि ऐसा हश्र हो तो दिल फटने लगता है। सपने टूट जाते हैं। दुनिया से मोह खत्म हो जाता है। और उसकी परिणति कुछ ऐसी ही होती है।


Sunday, March 4, 2012

यूपी चुनाव: रिजल्ट से पहले सियासी बिसात पर गठजोड़ का गणित!


यूपी में चुनाव परिणाम आने से पहले ही सियासी गलियारों में जोड़-तोड़ का गणित शुरू हो चुका है। चुनाव से पहले तक खुद के दम पर सरकार बनाने का दावा करने वाली राजनीतिक पार्टियां गठजोड़ में लगी हुई हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो सपा चुनाव परिणाम आने के बाद सबसे मजबूत स्थिति में रहेगी। ऐसी में सपा की सियासी चाल सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है।


चुनाव परिणाम छह मार्च को घोषित हो जाएंगे। अब तक के अनुमान के आधार पर यह लग रहा है कि कोई भी पार्टी बहुमत में नहीं आने वाली है। ऐसे में राजनीतिक पार्टियां गठजोड़ कर सकती हैं। नए समीकरण के मुताबिक कांग्रेस के प्रति सपा का झुकाव बढ़ा है। रालोद के युवा चेहरे और अजित सिंह के उत्तराधिकारी जयंत के सपा के समर्थन में दिए बयान से साफ जाहिर हो रहा है कि सपा और कांग्रेस को एक करने में रालोद महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।


हालांकि सपा, कांग्रेस और रालोद के समीकरण में राहुल और सोनिया के साथ केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा का अड़ियल रुख अड़ंगा डाल सकता है।बेनी ने कहा है कि यूपी में एसपी से हजार गुना बेहतर बीएसपी है। कांग्रेस को नतीजों के बाद बीएसपी से गठबंधन करना चाहिए। वैसे इस बयान से एक नया समीकरण भी बनता हुआ दिख रहा है। वह यह कि जरूरत पड़ने पर कांग्रेस, बीएसपी से भी हाथ मिला सकती है।


बीजेपी से हाथ मिलाएंगी मायावती?


दूसरा सबसे बड़ा समीकरण बीएसपी और बीजेपी के साथ बनता हुआ दिख रहा है। वैसे अभी तक दोनों ही पार्टियों ने इस तरह का कोई बयान नहीं दिया है, जिसके आधार पर उनके बीच किसी तरह के गठजोड़ की बात पुख्ता तौर पर कही जा सके। पर दोनों ने इस बारें में कोई नकारात्मक बयान भी नहीं दिया है।


सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक, बीएसपी सरकार के एक बड़े अधिकारी ने बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के साथ मुलाकात की है। इतिहास पर भी नजर डाला जाए तो दोनों पार्टियों के बीच गठजोड़ की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।


यूपी की राजनीति पूरे देश की राजनीतिक दिशा और दशा तय करती है। सन् 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस चुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है। ऐसे में राष्ट्रीय पार्टियां खास करके कांग्रेस और बीजेपी ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाएंगे जिससे लोकसभा का चुनाव प्रभावित हो। इसमें सपा, बसपा और रालोद जैसी क्षेत्रीय पार्टियों का सत्ता मोह जरूर प्रभावित होगा और प्रभाव डालेगा। सही मायने में छह मार्च के बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी।

 
Design by Free WordPress Themes | Bloggerized by Lasantha - Premium Blogger Themes | Best Buy Coupons