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Tuesday, October 11, 2011

BIRTH DAY SPECIAL: कवि के घर पैदा हुआ कलाकार


सन्‌ 1942 की सर्दियों में इलाहाबाद में जन्मे बिग बी की पूरे फिल्म इंडस्ट्री में तूती बोलती है। बचपन में उनके साथ एक बड़ी मनोरंजक घटना घटी थी। बात तब की है जब वह ढाई साल के थे। उस समय अमिताभ अपने माता-पिता के साथ नाना के घर जा रहे थे।

तभी लाहौर रेलवे स्टेशन पर अपने माता-पिता से बिछड़कर ओवरब्रिज पर पहुंच गए। उस समय मां तेजी टिकट लेने गई थीं और अमित पिता का हाथ छूट जाने से भीड़ में खो गए। मां-बाप के होश उड़ गए। बाद में अमिताभ मिल गए।



सांड ने ऐसा दी पटखनी कि बन गए हिम्मत वाले



अमिताभ बच्चन की बचपन की फोटो
खानदानी परंपरा के अनुसार अमित का मुंडन संस्कार विंध्य पर्वत पर देवी की प्रतिमा के आगे बकरे की बलि के साथ होना था, लेकिन बच्चनजी ने ऐसा कुछ नहीं किया। हां, उस दिन भी एक अद्भूत घटना घटी। अमितजी के मुंडन के दिन ही एक सांड उनके दरवाजे पर आया और उनको पटखनी देकर चला गया। अमितजी रोए नहीं। उनके सिर में गहरा जख्म हुआ था। कुछ टांके भी लगे थे। इस घटना पर परिवार वालों का कहना था कि यह भिड़ंत उनकी उस सहन शक्ति का 'ट्रायल रन' थी, जिसने उनको जिंदगी का सलीका सिखाया।



कवि के घर पैदा हुआ कलाकार



अमिताभ का जन्म 11 अक्तूबर को इलाहाबाद के हिंदू कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता, डॉ. हरिवंश राय बच्चन प्रसिद्ध हिन्दी कवि थे, जबकि उनकी माँ तेजी बच्चन कराची के सिख परिवार से संबंध रखती थीं। पहले बच्चन का नाम इंकलाब रखा गया था जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रयोग में किए गए प्रेरित वाक्यांश इंकलाब जिंदाबाद से लिया गया था। लेकिन बाद में इनका फिर से अमिताभ नाम रख दिया गया जिसका अर्थ है, "ऐसा प्रकाश जो कभी नहीं बुझेगा"।


बात अब से कोई 23 साल पहले की है. राजीव गाँधी ने अपने पारिवारिक मित्र और फ़िल्म स्टार अमिताभ बच्चन को लोकसभा चुनाव लड़ाने का फ़ैसला किया.
अमिताभ लखनऊ आए. उनसे मेरी मुलाकात हुई इलाहबाद के कैबिनेट मंत्री श्याम सूरत उपाध्याय के घर पर. राजनीति मे अमिताभ का यह पहला क़दम था.


रास नहीं आई राजनीति


अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव लड़कर राजनीति में कदम रखा। इस चुनाव में वह रेकॉर्ड 62 फीसदी मतों के अंतर से जीते। राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हेमवती नंदन बहुगुणा के लिए यह बहुत करारी हार थी।


ऐसा कहा जाता है कि अमिताभ के पिता हरिवंश राय बच्चन और माँ तेजी बच्चन को प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का पारिवारिक मित्र होने का भरपूर लाभ मिला था।
लोक सभा का चुनाव प्रचार करते बिग बी


इंदिरा जी के शासन मे अमिताभ को फिल्मी बिजनेस में फायदा मिला। राजीव के राज मे अमिताभ को संसद की सदस्यता मिली।


मगर जब छोटे भाई के साथ-साथ उनका नाम भी बोफोर्स घोटाले मे उछला तो वह राजीव को गाँधी को अकेला छोड़ कर किनारे हो लिए. संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।




तथ्य साभार: भास्कर डॉट कॉम, विकीपीडिया

1 comments:

bharat.sengar said...

wish you happy birthday

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