वहीं जब रामलीला मैदान में अहिंसात्मक आंदोलन और सत्याग्रह कर रहे लोगों पर लाठियां बरसाई गईं। लोगों के हाथ-पांव तोड़ा दिए गए। सो रहे लोगों पर गोलियां बरसाई गईं। तब हमारे राहुल बाबा कहां थे? जब एक वृद्ध लाठी की मार खाने के बाद अस्पताल में दम तोड़ रही थी तब राहुल बाबा कहां थे? हमें आश थी कि यहां भी राहुल पहुंचेंगे। लोगों के दुख में शरीक होंगे। अपनी सरकार द्वारा लगाए गए धारा 144 का विरोध करेंगे। पर दुख कि वो नहीं आए। दिल टूट गया।
किसी ने बताया कि यूपी और दिल्ली के धारा 144 में अंतर है (यूपी में चुनाव होने वाले हैं)। दोनों घटनाओं में शामिल आम आदमी में अंतर है। वो शायद पहचानते हैं। इसलिए नहीं आए।
हमने तो सोचा था कि आप अन्य राजनीतिज्ञों से अलग हो। आप में देश का भविष्य देखा। पर ये भूल गया कि राजनीति के कीचड़ में कभी कमल नहीं खिल सकता। इस हमाम में सब नंगे हैं।
1 comments:
माफ़ करे, चाहे ये हो या कोई और है तो सब एक ही ना?
इनको भी बचपन से पता है की गद्दी मिलनी है एक ना एक दिन कैसे भी वो मिलेगी. रही बात जनता की वो वोट दे और उसके बाद संसद, संविधान इत्यादि इत्यादि की बात कर के आप आदमी को मरने दो, आम आदमी से क्या मतलब ?
मरने दो, जादा होगा तो एक दौरा करो, अच्छी अच्छी बाते करो, गरीबो और गरीबी के बात जरुर करो, चाहे पिचले ६० साल में गरीब कम नहीं हुए हो पर अमीर तो सभी नेता हो गए है और अब तो बेशर्मी से लूटने का चलन है विरोध करोगे तो जेल या कोई आप के खिलाफ चुपचाप एक मुहिम शुरू कर देंगा और आप वापस वही एक आदमी ........
आज अपना देश दुनिया में एक मुकाम रखता है पर साथ में कितनी गन्दगी है अन्दर वो सब को पता है वो दूर हो जाये तो शायद ऐसा देश पूरी दुनिया में ना होगा.
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