Pillar of True Journalism to save Public Domain

Sunday, March 4, 2012

यूपी चुनाव: रिजल्ट से पहले सियासी बिसात पर गठजोड़ का गणित!


यूपी में चुनाव परिणाम आने से पहले ही सियासी गलियारों में जोड़-तोड़ का गणित शुरू हो चुका है। चुनाव से पहले तक खुद के दम पर सरकार बनाने का दावा करने वाली राजनीतिक पार्टियां गठजोड़ में लगी हुई हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो सपा चुनाव परिणाम आने के बाद सबसे मजबूत स्थिति में रहेगी। ऐसी में सपा की सियासी चाल सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है।


चुनाव परिणाम छह मार्च को घोषित हो जाएंगे। अब तक के अनुमान के आधार पर यह लग रहा है कि कोई भी पार्टी बहुमत में नहीं आने वाली है। ऐसे में राजनीतिक पार्टियां गठजोड़ कर सकती हैं। नए समीकरण के मुताबिक कांग्रेस के प्रति सपा का झुकाव बढ़ा है। रालोद के युवा चेहरे और अजित सिंह के उत्तराधिकारी जयंत के सपा के समर्थन में दिए बयान से साफ जाहिर हो रहा है कि सपा और कांग्रेस को एक करने में रालोद महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।


हालांकि सपा, कांग्रेस और रालोद के समीकरण में राहुल और सोनिया के साथ केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा का अड़ियल रुख अड़ंगा डाल सकता है।बेनी ने कहा है कि यूपी में एसपी से हजार गुना बेहतर बीएसपी है। कांग्रेस को नतीजों के बाद बीएसपी से गठबंधन करना चाहिए। वैसे इस बयान से एक नया समीकरण भी बनता हुआ दिख रहा है। वह यह कि जरूरत पड़ने पर कांग्रेस, बीएसपी से भी हाथ मिला सकती है।


बीजेपी से हाथ मिलाएंगी मायावती?


दूसरा सबसे बड़ा समीकरण बीएसपी और बीजेपी के साथ बनता हुआ दिख रहा है। वैसे अभी तक दोनों ही पार्टियों ने इस तरह का कोई बयान नहीं दिया है, जिसके आधार पर उनके बीच किसी तरह के गठजोड़ की बात पुख्ता तौर पर कही जा सके। पर दोनों ने इस बारें में कोई नकारात्मक बयान भी नहीं दिया है।


सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक, बीएसपी सरकार के एक बड़े अधिकारी ने बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के साथ मुलाकात की है। इतिहास पर भी नजर डाला जाए तो दोनों पार्टियों के बीच गठजोड़ की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।


यूपी की राजनीति पूरे देश की राजनीतिक दिशा और दशा तय करती है। सन् 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस चुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है। ऐसे में राष्ट्रीय पार्टियां खास करके कांग्रेस और बीजेपी ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाएंगे जिससे लोकसभा का चुनाव प्रभावित हो। इसमें सपा, बसपा और रालोद जैसी क्षेत्रीय पार्टियों का सत्ता मोह जरूर प्रभावित होगा और प्रभाव डालेगा। सही मायने में छह मार्च के बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी।

0 comments:

Post a Comment

 
Design by Free WordPress Themes | Bloggerized by Lasantha - Premium Blogger Themes | Best Buy Coupons