भई...इसे कहते हैं राजनीति के अखाड़े का सधा हुआ खिलाड़ी। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह की 'चाल' तो देखिए...ऐसे चले कि दो बंगाली बुद्धिमान ढेर हो गए। पहले ममता के साथ मिलकर कांग्रेस को ब्लैकमेल करना चाहा, लेकिन सीबीआई से डर गए। ममता को पता ही नहीं चला, प्रणब के साथ पर्चा भरवाते हुए मिल गए। सबने खूब खरी-खोटी सुनाई।
दर्द की मारी दीदी ने तो इतना कह दिया कि देश में रीढ़ विहीन नेता बढ़ते जा रहे हैं। दुखी मन से ही सही, उन्होंने ने भी प्रणब दा को सपोर्ट कर दिया। जब वोट देने की बारी आई तो मुलायम ने 'गलती' से संगमा को वोट दे दिया।
फिर तथाकथित एहसास हुआ तो दूसरे वैलेट पेपर पर प्रणब दा को वोट दे दिया। (अब जरा बताइए किसको नहीं पता कि ऐसा वोट रद्द हो जाता है) हुआ वही, उनका वोट भी रद्द कर दिया गया। अब मुलायम प्रणब और कांग्रेस के साथ भी हैं, पर वोट भी नहीं दिया। मान गए उस्ताद...'पहलवान' हो तो ऐसा....चित भी मेरी, पट भी मेरी...इसे कहते हैं राजनीति।
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