Pillar of True Journalism to save Public Domain

Monday, October 24, 2011

कर्नल गद्दाफी और विद्रोहियों के आतंक की कहानी, सुनिए इस गवाह की जुबानी!

लीबिया के तानाशाह कर्नल गद्दाफी की मौत की पूरी दुनिया में चर्चा है। सभी इस पर अलग अलग तरह सोच रहे हैं। कोई इसे तानाशाही का अंत कह रहा है तो कोई इसे तेल का खेल। कुछ लोगों का कहना है कि पश्चिमी देशों ने तेल के कुओं पर अधिकार पाने के लिए गद्दाफी विरोधी लोगों को सह दिया था। कुछ लोगों का कहना है कि गद्दाफी के तानाशाही रवैये के कारण वहां के लोगों में गुस्सा था। जिसकी परिणती उसके मौत के रूप में हुई। लीबिया के तानाशाह की मौत से कायम हुए शांति की वजह से केवल लीबियाई ही खुश नहीं है, बल्कि यह लहर यूपी तक पहुंच गई है। उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के रहने वाले 34 वर्षीय अरविंद जायसवाल को गद्दाफी की मौत से न तो खुशी है ना गम। उनको तो वहां फैले अराजकता...

Tuesday, October 18, 2011

मुझे शर्म आती है...

मुझे कभी कभी शर्म आती है। इस पेशे पर। अपने दोस्तों पर। लोगों पर। प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल कई दिनों से गम्भीर रूप से बीमार हैं। उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों के मुताबिक उनकी हालत नाजुक है। ऐसे महान साहित्यकार की गंभीर तबियत खराब है, लेकिन अभी तक यह नेशनल मीडिया के लिए महत्वपूर्ण नहीं बन पाई है।  भला बने भी कैसे इस स्टोरी पर टीआरपी (टीवी रेटिंग) और पेजव्यू (वेबसाइट में खबरों की रेटिंग) कम आने का जो खतरा है। मेरे हर मीडियाकर्मी मित्र को पता है कि ऐसी खबरें मुनाफेदार नहीं होती। चलिए मान लिया कि मीडिया को इस खबर से मुनाफा नहीं था इसलिए इसका महत्व नहीं दिया। लेकिन उन लोगों का क्या जो मीडिया से जुड़े नहीं हैं। जो खबरें...

Sunday, October 16, 2011

30000 'बच्चों' के इस बाप की कहानी वाकई में है दिल छू लेने वाली!

यूपी के बुंदेलखण्ड में रहने वाली इस शख्स की कहानी दिल छू लेने वाली है। बेटे की मौत के बाद तड़प रहे इस शख्स ने गम को खुशी में बदलने का एक नायाब तरीका अपनाया। फिर क्या था, उसके बाद उसके एक नहीं, दो नहीं, पूरे 30 हजार बच्चे हो गए। जी हां, उसने अपनी सूखी जिन्दगी में संकल्प लिया धरती को हरा-भरा बनाने का। चित्रकूट के रहने वाले भैयाराम अब चालीस बसंत पार कर चुके हैं। वह पिछले तीन सालों से जिले के पहरा वनक्षेत्र के करीब 30,000 वृक्षों की अपनी संतान की तरह सेवा और देखरेख कर रहे हैं। झोपड़ी में रह रहे भैयाराम पेड़ों को काटने वाले चोरों से उनकी रक्षा करने से लेकर उनकी निराई-गुड़ाई, कीड़ों से बचाव और सिंचाई तक का पूरा ख्याल रखते हैं। उनके मुताबिक,...

Tuesday, October 11, 2011

आडवाणी जी...कहीं ये प्रधानमंत्री बनने की आखिरी कोशिश तो नहीं!!!

महा'रथी' आडवाणी की एक और रथ यात्रा... भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने बिहार के सिताबदियारा से अपनी 'जन चेतना यात्रा' की शुरुआत कर दी है। यात्रा से पहले ही राजनीतिक दांव पेंच और प्रधानमंत्री बनने के कयासों में उलझे आडवाणी ने साफ करना चाहा कि देश में सत्ता परिवर्तन से अधिक व्यवस्था परिवर्तन की आवश्यकता है और इस यात्रा का उद्देश्य आम जनमानस के मन में भ्रष्टाचार के खिलाफ चेतना पैदा करना है। उन्होने साफ किया कि इस यात्रा की शुरुआत भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए की जा रही है। देश में सत्ता परिवर्तन से अधिक व्यवस्था परिवर्तन की आवश्यकता है। चलिए मान लेते हैं आडवाणी जी की बात। वह सत्ता के लिए नहीं व्यवस्था के लिए यात्रा निकाल रहे...

BIRTH DAY SPECIAL: कवि के घर पैदा हुआ कलाकार

सन्‌ 1942 की सर्दियों में इलाहाबाद में जन्मे बिग बी की पूरे फिल्म इंडस्ट्री में तूती बोलती है। बचपन में उनके साथ एक बड़ी मनोरंजक घटना घटी थी। बात तब की है जब वह ढाई साल के थे। उस समय अमिताभ अपने माता-पिता के साथ नाना के घर जा रहे थे। तभी लाहौर रेलवे स्टेशन पर अपने माता-पिता से बिछड़कर ओवरब्रिज पर पहुंच गए। उस समय मां तेजी टिकट लेने गई थीं और अमित पिता का हाथ छूट जाने से भीड़ में खो गए। मां-बाप के होश उड़ गए। बाद में अमिताभ मिल गए। सांड ने ऐसा दी पटखनी कि बन गए हिम्मत वाले अमिताभ बच्चन की बचपन की फोटो खानदानी परंपरा के अनुसार अमित का मुंडन संस्कार विंध्य पर्वत पर देवी की प्रतिमा के आगे बकरे की बलि के साथ होना था, लेकिन बच्चनजी ने...

Monday, October 10, 2011

कहां तुम चले गए...

गजल सम्राट जगजीत सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने मुंबई के लीलावती अस्पताल में दम तोड़ दिया। करीब दो सप्ताह पहले ही उन्हे यहां भर्ती कराया गया था। उनकी आखिरी सांस के साथ ही मौशिकी की दुनिया का एक कालखंड समाप्‍त हो गया।  जगजीत जिंदगी के आखिरी वक्‍त तक गाते रहे। जिस दिन उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराया गया, उस दिन भी मुंबई में उन्‍हें एक कार्यक्रम देना था। 70 साल के जगजीत सिंह को उस दिन पाकिस्तान के गजल गायक गुलाम अली के साथ एक कंसर्ट में हिस्सा लेना था।  गजल गायकी को नया अंदाज देने के लिए जगजी‍त सिंह को हमेशा याद किया जाता रहेगा। जगजीत सिंह ने 1999 में आई फिल्‍म ‘सरफरोश’ के गीत ‘होश वालों को खबर क्‍या...’ को आवाज...

Saturday, October 8, 2011

मौत के क्रूर पंजों में जकड़ा मासूमों का जीवन, खत्म हो चुकीं हैं 400 जिंदगियां

पूर्वी यूपी में अधिकतर मां-बाप की रातें आंखों में कट जा रही है। मन बैचेन है। डर सता रहा है कि कहीं 'नौकी बीमारी' उनके लाल को न निगल जाए। डर इतना कि लाडले को छींक भी आ जाए तो कंठ सूख जाता है। ऐसा हो भी क्यों ना। पूरे इलाके में मौत बनकर तांडव मचाने वाली नौकी बीमारी यानी जापानी इंसेफ्लाइटिस ने इस साल अब तक 400 मासूम बच्चों की सांसे छीन ली है। इतने ही करीब अस्पताल में भर्ती हैं। अकेले गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में ही करीब 2500 मरीज आ चुके हैं। बताते चलें कि पूर्वी यूपी के गोरखपुर और आसपास के जिलों में 1978 से इंसेफ्लाइटिस महामारी के रूप में कहर ढा रही है। इसके सबसे आसान शिकार मासूम बच्चे है। मरने वालों से कई गुना ज्यादा विकलांग और मानसिक...

Thursday, October 6, 2011

एक लड़की के 'दर्द' की दर्दनाक कहानी, सुन आंखे छलक जाएंगी आपकी!

दर्द जब बेदर्द बन जाता है तो इंसान जीने की चाह छोड़ देता है। कोई शख्स कितना भी हिम्मती क्यों ना हो, लेकिन असहनीय दर्द को सहने की बजाय मौत को गले लगाना उचित समझता है। कुछ ऐसा ही हाल है कानपुर की रहने वाली अलका का। एप्लास्टी एनीमिया नामक बीमारी से पीड़ित 21 साल की एक अलका ने कोर्ट से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि सरकार या तो उसका इलाज कराने में मदद करे या फिर उसे इच्छा मृत्यु की इजाजत दे दी जाये। कानपुर शहर के पहाड़ी लाइन में झुग्गी में रहने वाली अलका नौ साल से एप्लास्टी एनीमिया से पीड़ित है। उसके पिता की मौत 1998 में हो चुकी थी। घर पर उनकी बूढ़ी मां सूरजमुखी और एक भाई ब्रज बिहारी रहते हैं। भाई ट्यूशन पढ़ाकर घर का खर्च चलाता...

Wednesday, October 5, 2011

ये है माया की 'माया': जिसने भी लगाई इज्जत की बाट, उसकी खड़ी कर दी खाट!

यूपी की मुख्यमंत्री मायावती का तेवर इन दिनों देखते ही बन रहा है। पिछले कुछ महिने के हालात पर गौर करें तो माया के फैसलों ने न केवल लोगों को चौंकाया है, बल्कि विपक्षी पार्टियों के हाथ से भी चुनावी मुद्दा करीब छीन लिया है। हाल ही में माया ने माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र तथा श्रम मंत्री बादशाह सिंह को मंत्री पद से तब तक के लिए हटा दिया है, जब तक की ये दोनों मंत्री जांच में निर्दोष साबित नहीं हो जाते। इससे पहले भी वह कई मंत्रियों, बसपा कार्यकर्ताओं और अधिकारियों को दंडित या पदच्यूत कर चुकीं हैं। चुनाव से एन वक्त पहले मायावती का यह रुख चौंकाने वाला है। कोई इसे ऑपरेशन क्लीन का नाम दे रहा है, तो कोई राजनीतिक स्टंट।जिसने भी लगाई इज्जत की वाट,...
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