जिसने भी लगाई इज्जत की वाट, उसकी खड़ी कर दी खाट
मायावती ने बहुजन समाज पार्टी की छवि को धक्का पहुंचाने वालों को बिना माफ किए तत्काल बाहर का रास्ता दिखा दिया। मई 2007 में राज्य की चौथी बार बागडोर सम्भालने मायावती ने अपने कार्यकाल के दौरान 26 प्रभावशाली लोगों को सरकार या पार्टी से निकाल बाहर किया है। इस हिट लिस्ट में तमाम मंत्री, सांसद, विधायक, पार्टी के बडे पदाधिकारी शामिल हैं। लोगों का मानना है कि माया पार्टी या सरकार की छवि को धक्का पहुंचाने वालों को वह बर्दाश्त नहीं करतीं हालांकि निकालने से पहले वह चेतावनी जरुर दे देती हैं। हाल में सांसद धनंजय सिंह और विधायक योगेन्द्र सागर के निलंबन और विधायक अशोक चन्देल की पार्टी से बर्खास्तगी से उन्होंने सबसे पहला झटका सांसद उमाकांत यादव को दिया था। फैजाबाद जिले के मिल्कीपुर विधानसभा सीट से विधायक आनन्द सेन यादव का खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बनाने के कुछ ही महीनो बाद शशि नाम की युवती के अपहरण मामले में नाम आने पर उन्हें तत्काल मंत्री पद से हटा दिया था।
करीबी लोगों को भी नहीं बक्शा
ऐसा माना जाता है कि मायावती कुछ मामलों में अपने करीबियों को भी नहीं छोड़ती। प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला देने वाले दो-दो मुख्य चिकित्साधिकारियों की हत्या के बाद मायावती ने अपने सबसे नजदीकी मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और अनन्त कुमार मिश्र को भी एक झटके में मंत्रिमंडल से निकाल दिया। उनके साथ ही भूमि विकास एवं जल संसाधन मंत्री अशोक कुमार दोहरे, मुस्लिम एवं समाज कल्याण राज्य मंत्री विद्या चौधरी. सूचना मंत्री सुधीर गोयल. राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त पन्ना लाल कश्यप. राज्य मंत्री रघुनाथ प्रसाद शंखवार. राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त इन्तजार आब्दी से भी अलग अलग समय पर विभिन्न वजहों से इस्तीफे ले लिये गये।
विकीलीक्स के तूफान से भी नहीं डगमगाई
मायावती अपने मजबूत इच्छाशक्ति के कारण विकीलीक्स के तूफान को भी यूं ही झेल गईं। इस केबल ने दावा किया था कि मायावती को 'अव्वल दर्जे की अति अहंकारी' है। इन पर प्रधानमंत्री बनने की धुन सवार है। अमरीकी कूटनयिकों की ओर से भेजे गए इस दस्तावेज़ में मायावती के धन एकत्रित करने के तरीक़ों पर चर्चा की गई है और साथ ही उनके व्यवहार की भी। केबल ने माया के करीबियों को भी दगाबाज बताया था। इनके सबसे विश्वासपात्र सतीश चंद्र मिश्र पर भी आरोप लगाया था। पर माया ने विकीलीक्स के आरोपो को बकवास बताते हुए निराधार बताया था।
मायावती को कोई राजनीतिक विरासत नहीं मिली है। उन्होंने अपने दम चार बार मुख्यमंत्री की गद्दी हासिल की है। दलितों की महारानी नाम से ख्यात माया ने कभी भी परिस्थितियों से समझौता नहीं किया है। इनके जीवन में जितने बार तूफान आया, उतनी बार उभरी हैं। एक राजनेता से ज्यादा एक महिला के रूप में मायावती की तारीफ होनी चाहिए।
तथ्य साभार दैनिक भास्कर डॉट कॉम
3 comments:
i amnot able to understand, by doing all this maya think that she will prove her honesty, but everyone knows that she is totally corrupt lady, he sell all sugar mills at a 10% cost, all mid day meal supply, all countryliquor wholesale and retail, coal, ret, bus stopage, land allotment, to one man PONTY CHADHA.
by doing all this she dnt know people are very angry, because lot od industry are closed, and thousands of people get unemployed.and after election she will in prison.
yes you right
She is mentally too strong person, its well known but she can't change the UP government working style, babu giri and under table game. Every thing is same as SP govmnt time. Criminals are free, officers are busy in earning more and more. Every day we read about rape, loot, robbery, murders..where is the UP police?
Its shame for us, we can't say loudly on other states "i am from UP" bcz ppl look us as stupid.
What is this? who is responsible for all these, only we are.........
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