Pillar of True Journalism to save Public Domain

Tuesday, November 27, 2012

आम आदमी की यह अजब दास्तान

उस दिन भी रोज की तरह बगीचे में टहल रहा था। मन में अजब बेचैनी थी। तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे। तभी मेरी नजर एक पके आम पर पड़ी। आम को देखते ही जाने क्यों आम आदमी का ख्याल आ गया। भाषण, लेख, हिदायतों और नसीहतों के बीच बचपन से ही आम आदमी के बारे में सुनता आ रहा हूं। लगा कि भले बदलाव की तेज आंधी ही क्यूं न चले, पर आम आदमी के हाथ न कभी कुछ लगा है, न लग पाएगा। जब आम आदमी का जिक्र आता है तो मन में एक अजीब सहानुभूति आ जाती है। मैं सोच में डूबा सड़क पर आ गया। सोचा चलो आज सबसे पूछते हैं कि ये आम आदमी है कौन? सामने मोटरसाइकिल दनदनाते दरोगाजी दिख गए। दुआ-सलाम के बाद उनसे पूछ ही लिया आम आदमी के बाबत। आम आदमी का नाम आते ही साहब लार टपकाते बोले - आम आदमी यानी...

Thursday, November 15, 2012

विरोध की बिसात पर फहराया राजनीतिक परचम

मराठियों के 'नायक' तो उत्तरभारतीयों के लिए 'खलनायक' रहे हैं ठाकरे बंधु। राजनीति के शेर बाल ठाकरे शनिवार दोपहर 3:30 बजे सदा के लिए शांत हो गए। चमत्कार की आस लगाए मातोश्री के बाहर खड़े लाखों शिवसैनिकों का भरोसा टूट गया। 86 साल के ठाकरे 14 नवंबर से ही बेहोशी की हालत में थे। सेहत सुधर रही थी, लेकिन दिल के दौरे ने सारी उम्मीदें तोड़ दी। रविवार को उनका अंतिम संस्कार हुआ है।  अपने कैरियर की शुरुआत एक कार्टूनिस्ट के रूप में करने वाले ठाकरे को उत्तर भारतीयों के खिलाफ घृणा और विरोध के लिए याद किया जाता है। उनका संपूर्ण राजनीतिक कैरियर हिन्दू और मराठी के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। उनकी राजनीतिक विचारधारा उपने पिता केशव सीताराम ठाकरे से काफी...

Monday, October 29, 2012

'मीडिया ट्रायल की बात निराधार'

ट्रायल मुकदमे का होता है, आरोपी का होता है, वह भी जांच के बाद। ट्रायल अदालत में होता है, वह भी तब जबकि पुलिस या ऐसी कोई अन्य राज्य शक्तियों से निष्ठ संस्था मामला वहां ले जाए या अदालत स्वयं संज्ञान लेकर जांच कराए। ट्रायल के बाद किसी को सजा मिलती है, तो कोई छूट जाता है। बहुस्तरीय न्याय व्यवस्था होने के कारण कई बार नीचे की अदालतों का फैसला ऊपर की अदालतें खारिज ही नहीं करतीं बल्कि यह कहकर कि निचली अदालत ने कानून की व्याख्या करने में भूल की, फैसला उलट भी देती हैं। ऐसा भी होता है कि कई बार सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय के फैसले को न केवल उलट देता है बल्कि निचली अदालत की समझ की तारीफ भी करता है। तात्पर्य यह कि जहां सत्य जानने और जानने के बाद अपराधी...

Sunday, October 28, 2012

मीडिया की ताकत!

आज समाज में विश्वास का संकट है. हर संस्था या इससे जुड़े लोग अपने कामकाज के कारण सार्वजनिक निगाह में हैं. इसलिए मौजूदा धुंध में मीडिया को विश्वसनीय बनने के लिए अभियान चलाना चाहिए. इस दिशा में पहला कदम होगा, ईमानदार मीडिया के लिए नया आर्थिक मॉडल, जिसमें मुनाफा भी हो, शेयरधारकों को पैसा भी मिले, निवेश पर सही रिटर्न भी हो और यह मीडिया व्यवसाय को भी अपने पैरों पर खड़ा कर दे. यह आर्थिक मॉडल असंभव नहीं है. मीडिया की ताकत क्या है? अगर मीडिया के पास कोई शक्ति है, तो उसका स्रोत क्या है? क्यों लगभग एक सदी पहले कहा गया कि जब तोप मुकाबिल हो, तो अखबार निकालो? सरकार को संवैधानिक अधिकार प्राप्त है. न्यायपालिका अधिकारों के कारण ही विशिष्ट है. विधायिका की...

Tuesday, October 23, 2012

हाईप्रोफाइल मच्छर: डेंगू का 'डंक'

डेंगू नामक बीमारी को कौन नहीं जानता है? हर साल हजारों लोग इस बीमारी के शिकार होते हैं। लेकिन इन दिनों डेंगू कुछ ज्यादा ही हाईप्रोफाइल हो गया है। इसने देश के जाने-माने फिल्मकार यश चोपड़ा को डंक मारने का दुस्साहस किया है। उसके डंक की चोट से यश जी तो चले गए, लेकिन देश में चर्चा का विषय छोड़ गए। चारों तरफ डेंगू की चर्चा हो रही है। कभी इसे गरीबों की बीमारी मानकर दुत्कार दिया गया था, अब इससे बड़े-बड़े लोग डरने लगे हैं। डेंगू फेसबुक और ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा है। यश जी की मौत से ज्यादा पब्लिसिटी बटोर चुका है। बताते चलें कि पूरे भारत में अब तक 17 हजार से अधिक डेंगू के मरीज सामने आ चुके हैं। देश में इस साल अब तक 100 से अधिक मौते डेंगू से हो चुकी...

Wednesday, October 3, 2012

सचान-आरुषि मर्डर: CBI की 'साख' पर सवाल

सीबीआई को देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी माना जाता है। किसी भी घटना में तह तक जाने या इंसाफ पाने के लिए उस पर सबसे ज्यादा भरोसा किया जाता है। यही कारण है कि जब भी कोई वारदात या घोटाला होता है तो लोगों की जुबां पर सीबीआई का नाम होता है। पर यूपी के दो सबसे चर्चित और सनसनीखेज मुद्दों पर उसकी नाकामी अब उसके विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़े कर रही है।  सचान और आरुषि हत्याकांड का केस जब सीबीआई को सौंपा गया तो लोगों को आस बंधी कि अपराधी जरूर पकड़े जाएंगे। पर 14 महीने की जांच के बाद डॉ सचान केस में कुछ भी नया सबूत नहीं मिला। सीबीआई ने मामले में क्‍लोजर रिपोर्ट दाखिल कर कहा कि डॉ वाइएस सचान की हत्‍या के सबूत नहीं मिले हैं। इसी तरह से आरुषि हत्‍याकांड...

Saturday, July 21, 2012

मान गए उस्ताद...

भई...इसे कहते हैं राजनीति के अखाड़े का सधा हुआ खिलाड़ी। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह की 'चाल' तो देखिए...ऐसे चले कि दो बंगाली बुद्धिमान ढेर हो गए। पहले ममता के साथ मिलकर कांग्रेस को ब्लैकमेल करना चाहा, लेकिन सीबीआई से डर गए। ममता को पता ही नहीं चला, प्रणब के साथ पर्चा भरवाते हुए मिल गए। सबने खूब खरी-खोटी सुनाई।  दर्द की मारी दीदी ने तो इतना कह दिया कि देश में रीढ़ विहीन नेता बढ़ते जा रहे हैं। दुखी मन से ही सही, उन्होंने ने भी प्रणब दा को सपोर्ट कर दिया। जब वोट देने की बारी आई तो मुलायम ने 'गलती' से संगमा को वोट दे दिया।  फिर तथाकथित एहसास हुआ तो दूसरे वैलेट पेपर पर प्रणब दा को वोट दे दिया। (अब जरा बताइए किसको नहीं पता कि ऐसा वोट रद्द...

Friday, July 13, 2012

भीड़ बनी भेड़िया, शर्मसार हुई इंसानियत

'आज भी आदम की बेटी हंटरों की जद में है, हर गिलहरी के बदन पर धारियां जरूर होंगी' यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता। बचपन से अपने देश में ऐसी शिक्षा हर घर में दी जाती है। लेकिन जल्लाद हर समाज में मौजूद हैं। किसी ने सच ही कहा है, ''आज भी आदम की बेटी हंटरों की जद में है, हर गिलहरी के बदन पर धारियां जरूर होंगी।'' गुवाहाटी में एक लड़की के साथ 20 लड़कों ने जो नंगा नाच किया। इस घटना से पूरे सभ्य समाज का सिर शर्म से झुक गया। अकेली लड़की पर गिद्ध बने भीड़ रूपी भेड़ियों ने मानवता को शर्मसार कर दिया। यह कोई पहला हादसा नहीं है। आधी आबादी पर भोगी समाज की नीयत कभी भी नेक नहीं रही। अपने वर्चस्व को बरकरार रखने के लिए पुरूष समाज कभी सभ्यता, संस्कृति...

Tuesday, March 27, 2012

बोलती तस्वीरें...

कहते हैं कि तस्वीरें बोलती हैं। उसमें एक कलाकार की भावनाएं समाहित होती हैं। उसमें एक संदेश होता है। बस जरूरत है तो उस संदेश और भावनाओं को समझने की। आपके लिए हाजिर हैं 10 दु्र्लभ तस्वीरें। इन्हें देखिए और उसमें छिपे संदेश को तलाशने की कोशिश कीजिए। सभी तस्वीरें साभार FFFFOUND.COM...

Sunday, March 18, 2012

एक IPS अफसर की दिल झकझोर देने वाली दास्तां

''यार, यहां बहुत बेगार करवाते हैं। कोई सेल्फ रिस्पेक्ट ही नहीं है। इलेक्शन के खर्चों का टारगेट अभी से दे दिया है। क्या इसलिए इतनी पढ़ाई करके आईपीएस बना था? ये लोग वर्दी वालों से ही उगाही करवा रहे हैं। अब नौकरी छोड़ दूंगा।'' खुदकुशी से ठीक पहले बिलासपुर (छत्‍तीसगढ़) के एसपी राहुल शर्मा ने अपना यह दुख अपने दोस्त के साथ साझा किया था। राहुल और उनके दोस्त हरिमोहन थकुरिया जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में साथ में पढ़े थे। हरिमोहन के मुताबिक, सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर उन्होंने राहुल से पांच मार्च को बात की थी। इस घटना के कुछ दिन पहले ही आईपीएस नरेंद्र कुमार को खनन माफिया ने ट्रैक्टर से रौंद कर मार डाला था। वह खनन पर अंकुश लगाने के लिए अभियान...

Sunday, March 4, 2012

यूपी चुनाव: रिजल्ट से पहले सियासी बिसात पर गठजोड़ का गणित!

यूपी में चुनाव परिणाम आने से पहले ही सियासी गलियारों में जोड़-तोड़ का गणित शुरू हो चुका है। चुनाव से पहले तक खुद के दम पर सरकार बनाने का दावा करने वाली राजनीतिक पार्टियां गठजोड़ में लगी हुई हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो सपा चुनाव परिणाम आने के बाद सबसे मजबूत स्थिति में रहेगी। ऐसी में सपा की सियासी चाल सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है। चुनाव परिणाम छह मार्च को घोषित हो जाएंगे। अब तक के अनुमान के आधार पर यह लग रहा है कि कोई भी पार्टी बहुमत में नहीं आने वाली है। ऐसे में राजनीतिक पार्टियां गठजोड़ कर सकती हैं। नए समीकरण के मुताबिक कांग्रेस के प्रति सपा का झुकाव बढ़ा है। रालोद के युवा चेहरे और अजित सिंह के उत्तराधिकारी जयंत के सपा के समर्थन में...
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